some positive thing story in hindi

Apana things agar good hai . To hum duniya ke sabase good people me se ek hai.








story 1


एक कुम्हार माटी से चिलम बनाने जा रहा था..। उसने चिलम का आकार दिया..। थोड़ी देर में उसने चिलम को बिगाड़ दिया...l माटी ने पूछा -: अरे कुम्हार, तुमने चिलम अच्छी बनाई फिर बिगाड़ क्यों दिया.? कुम्हार ने कहा कि -: अरी माटी, पहले मैं चिलम बनाने की सोच रहा था, किन्तु मेरी मति (दिमाग) बदली और अब मैं सुराही बनाऊंगा,,,। ये सुनकर माटी बोली -: रे कुम्हार, मुझे खुशी है कि, तेरी तो मति बदली, मेरी तो जिंदगी ही बदल गयी...l चिलम बनती तो स्वयं भी जलती और दूसरों को भी जलाती ,,, अब सुराही बनूँगी तो स्वयं भी शीतल रहूँगी ...और दूसरों को भी शीतल रखूंगी...l "यदि जीवन में हम सभी सही फैसला लें...तो हम स्वयं भी खुश रहेंगे.., एवं दूसरों को भी खुशियाँ दे सकेंगे।






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story 2




एक बार बुद्ध एक गांव में अपने किसान भक्त के यहां गए। शाम को किसान ने उनके प्रवचन का आयोजन किया। बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित थे, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। गांव के लोगों में कानाफूसी होने लगी कि कैसा भक्त है कि प्रवचन का आयोजन करके स्वयं गायब हो गया। प्रवचन खत्म होने के बाद सब लोग घर चले गए। रात में किसान घर लौटा। बुद्ध ने पूछा, कहां चले गए थे? गांव के सभी लोग तुम्हें पूछ रहे थे।
किसान ने कहा, दरअसल प्रवचन की सारी व्यवस्था हो गई थी, पर तभी अचानक मेरा बैल बीमार हो गया। पहले तो मैंने घरेलू उपचार करके उसे ठीक करने की कोशिश की, लेकिन जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो मुझे उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास जाना पड़ा। अगर नहीं ले जाता तो वह नहीं बचता। आपका प्रवचन तो मैं बाद में भी सुन लूंगा। अगले दिन सुबह जब गांव वाले पुन: बुद्ध के पास आए तो उन्होंने किसान की शिकायत करते हुए कहा, यह तो आपका भक्त होने का दिखावा करता है। प्रवचन का आयोजन कर स्वयं ही गायब हो जाता है।
बुद्ध ने उन्हें पूरी घटना सुनाई और फिर समझाया, उसने प्रवचन सुनने की जगह कर्म को महत्व देकर यह सिद्ध कर दिया कि मेरी शिक्षा को उसने बिल्कुल ठीक ढंग से समझा है। उसे अब मेरे प्रवचन की आवश्यकता नहीं है। मैं यही तो समझाता हूं कि अपने विवेक और बुद्धि से सोचो कि कौन सा काम पहले किया जाना जरूरी है। यदि किसान बीमार बैल को छोड़ कर मेरा प्रवचन सुनने को प्राथमिकता देता तो दवा के बगैर बैल के प्राण निकल जाते। उसके बाद तो मेरा प्रवचन देना ही व्यर्थ हो जाता। मेरे प्रवचन का सार यही है कि सब कुछ त्यागकर प्राणी मात्र की रक्षा करो। इस घटना के माध्यम से गांव वालों ने भी उनके प्रवचन का भाव समझ लिया।



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story 3




टीचर क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे थे कि अच्छे संस्कार और शिष्टाचार का जीवन में क्या महत्व है? उदाहरण के लिए उन्होंने एक शीशे का जार लिया और उसमे कुछ गेंद डालने लगे, धीरे धीरे जार पूरा भर गया| उसके बाद उन्होनें कुछ कंकड़ मंगाए और उन्हें भी जार में डालना शुरू कर दिया| जार में जहाँ थोड़ी जगह बाकी थी वहाँ सब कंकड़ भी भर गये|
इसके बाद उन्होनें जार में रेत डालना शुरू किया, तो रेत भी जार में समाने लगी अब धीरे धीरे जार पूरा भर गया| फिर अध्यापक ने पानी मँगाया और जार में पानी डालने लगे देखा कि पानी भी जार में रेत और कंकड़ों के बीच समाने लगा|
बच्चे ये सब बहुत ध्यान से देख रहे थे लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था तब टीचर ने समझाया कि इंसान भी इसी जार की तरह है इसमे काफ़ी चीज़ें आ सकती हैं अब ये तुम पे निर्भर है कि तुम क्या लेना चाहते हो? सोचो अगर जार में सबसे पहले रेत डाल दी जाती तो क्या गेंद उसमें कभी समा पातीं? कभी नहीं| उसी तरह बच्चों को सबसे पहले शिष्टाचार और संस्कार सीखना चाहिए, बाकी दुनियाँ के काम के लिए तो पूरा जीवन पड़ा हुआ है| अक्सर हम देखते हैं की लोग सीधे बस अच्छी नौकरी या पैसे की बात करते हैं लेकिन माता पिता को चाहिए की सबसे पहले गेंद रूपी ज्ञान बच्चों को दें| उसके बाद धीरे धीरे क्रमानुसार जीवन का तरीका सिखाएं क्यूंकी अगर बच्चों के दिमाग़ में शुरू से ही अवसाद रूपी रेत ने घर कर लिया तो फिर सारा जीवन अच्छे विचारों के लिए जगह नहीं बचेगी



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